सच्चा धर्म कौन सा है: दोस्तों जैसा की आप जानते हैं की हमारी इस दुनिया में विभिन्न धर्मों और धार्मिक मान्यताओं को मानने वाले लोग रहते हैं। आप हम या कोई भी व्यक्ति किसी न किसी धर्म से संबंध रखता है। वैसे तो अगर देखा जाये मनुष्य के जन्म के बाद से ही उसका कुल, परिवार, धर्म, जाति पहले से ही तय हो जाते हैं। दोस्तों दुनिया में तो बहुत से धर्म हैं लेकिन कभी क्या आपके मन में यह प्रश्न उठता है की दुनिया की कौन सा धर्म सबसे सच्चा है या सबसे पवित्र है ? यदि हाँ तो आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए है। अपने इस आर्टिकल की मदद से हमने उन सभी पाठकों के मन में उठने वाले ऐसी सभी प्रश्नों के उत्तर देने की कोशिश की है।
अगर आप भी जानना चाहते हैं की Sacha dharm kon sa hai तो हमारे इस आर्टिकल के साथ अंत तक जरूर बने रहें। चलिए अब आर्टिकल में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं की धर्म क्या है।
"सच्चा धर्म" is a phrase in Hindi that translates to "true religion" in English. Different people may have different beliefs about what constitutes "true religion." Some may believe that true religion is defined by adherence to certain beliefs, practices, or rituals, while others may believe that true religion is a personal, individual experience that cannot be defined by any particular set of beliefs or practices.
It's important to note that religion is a complex and multifaceted concept, and there is no one "right" answer to the question of what constitutes true religion. Different people have different beliefs and perspectives on this topic, and it is ultimately up to each individual to determine their own beliefs and practices when it comes to religion.
धर्म की परिभाषा क्या है ?
दोस्तों धर्म की कोई एक परिभाषा नहीं है। दुनियाभर में विभिन्न धर्म गुरुओं , विचारकों और लेखकों के द्वारा धर्म को अलग-अलग रूप से परिभाषित किया गया है। लेकिन दोस्तों सभी धर्मों में एक बात साफ़ देखने को मिलती है की कोई भी धर्म एक विचारधारा रूप है जो मानव को सही तरीके से जीवन जीने की राह दिखाता है। सभी धर्म हमें यही सिखाते हैं की मनुष्यों को आपस में बिना अकारण होने वाली लड़ाइयों को छोड़कर प्रेम पूर्वक रहना चाहिए। यदि आपसे कभी किसी व्यक्ति ने कोई सहायता मांगी है तो और आप उसकी सहायता करने हेतु सक्षम हैं आपको उस व्यक्ति की मदद जरुर करनी चाहिए यही धर्म का नीतिगत सिद्धांत है। यदि हम हिन्दू धर्म में देखें तो उसमें भी सर्वधर्म समभाव की व्याख्या को बताते हुए कहा भी गया है की “वसुधैव कुटुंबकम” अर्थात यह पूरी दुनिया मेरा एक परिवार है।
आपको हम बता दें की धर्म को मूलतः चार अवयवों में विभाजित किया गया है जो इस प्रकार से है-
- कर्तव्य(Duty): धर्म का पहला अवयव है कर्तव्य जिसे अंग्रेजी में Duty कहा जाता है। इसका अर्थ यह है की मनुष्य को उसकी योग्यता के अनुसार जो भी कार्यभार या कर्तव्य सौंपा गया है उसे अपना कार्य पूरी ईमादारी और निष्ठा से करना चाहिए। दुनिया के सभी धर्म हमें यही सिखातें हैं।
- अहिंसा (Non-violence): धर्म के मूलभूत सिद्धांत के अनुसार धर्म का दूसरा अवयव है अहिंसा। दोस्तों हमारे प्राचीन ग्रथों और वेदों में भी मानव को दूसरे जीव दया करने और हिंसा ना करने की सीख दी गयी है। जैसा की आपको पता है की भारत को अंग्रेजों से आज़ादी दिलाने में महात्मा गांधी का सबसे बड़ा हथियार अहिंसा ही था।
- न्याय (Justice): धर्म के तीसरे अवयव न्याय की बात करें तो इस दुनिया में शान्ति को स्थापित करने के लिए सभी को न्याय मिलना बहुत जरूरी है। यदि सभी को न्याय नहीं मिलेगा तो दुनिया एक असंतुलन पैदा हो जाएगा।लेकिन दोस्तों कभी कभी कहा भी जाता है की भगवान के घर देर है अंधेर नहीं , अगर हम देखें तो यह बात पूरी तरह से सही नहीं लगती है। क्योंकि न्याय व्यवस्था में अगर न्याय मिलने में देर होगी लोगों का न्याय पर से विश्वास उठ सकता है इसलिए सभी को समय से और सही न्याय मिलना चाहिए।
- सदाचरण और समभाव(Good conduct and equanimity): धर्म के आखिरी और महत्वपूर्ण अवयव में कहा गया है की सभी जीवों के प्रति दया एवं समानता का भाव रखें। यदि इंसान अपना जीवन शिष्टाचार और अच्छे व्यवहार से जीता है तो लोग उसे मृत्यु के बाद याद करते हैं। विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से एक संस्कृत के एक श्लोक में मनुष्य को सदाचरण व्यवहार करने के लिए बताया गया है मनु द्वारा लिखित मनुस्मृति में यह श्लोक उल्लेखित है –
धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रहः।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो, दशकं धर्मलक्षणम् ॥
श्लोक का अर्थ: मनुष्य को क्षमाशील होना चाहिए , अपनी वासना पर नियंत्रण करने वाला , स्वछता एवं सफाई का ध्यान रखने वाला , इन्द्रियों को वश में रखने वाला , बुद्धि का प्रयोग करने वाला , और हमेशा ज्ञान को ग्रहण करने के लिए लालायित होने वाला होना चाहिए। यह एक सदाचरित मनुष्य के सर्वगुण हैं।
धर्म की परिभाषा को तो हमने समझ लिया लेकिन दोस्तों अब सवाल आता है की दुनिया में इतने सारे धर्म हैं तो इनमें से सबसे सच्चा और अच्छा धर्म कौन सा है इसके लिए दोस्तों आपको बताते चलें की दुनिया के सभी धर्म महान हैं और सभी धर्मों में मनुष्य को अच्छा बनने एवं कृतज्ञता का पाठ पढ़ाया जाता है। हम कभी भी किसी धर्म को कम बताकर अपने धर्म को महान नहीं बना सकते क्योंकि धर्म का भाव ही यही है की सबको साथ लेकर चलो फिर यदि वो आपसे छोटा हो या बड़ा। इसलिए सभी धर्मों में मनुष्य को मानवता के बारे में समझाया गया है।
सभी धर्म हमें यही कहते हैं मनुष्य को अपने धर्म से ऊपर मानवता का धर्म रखना चाहिए। मानवता हमें जनकल्याण का पाठ पढ़ाती है।
दुनिया में कितने धर्म हैं ?
आपकी जानकारी के लिए बता दें एक अध्ययन के मुताबिक दुनिया में 300 अलग -अलग धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। लेकिन इन धर्मों में 12 विशेष धर्मों को दुनियाभर के अधिकांश लोगों के द्वारा अपनाया गया है आगे आर्टिकल में हम आपको इन्हीं 12 धर्मों के बारे में विस्तारपूर्वक बताने जा रहे हैं।
- हिन्दू धर्म (Hindu Religion): हिन्दू धर्म जिसे सनातन धर्म भी कहा जाता है। विद्वानों के अनुसार हिन्दू धर्म को दुनिया का सबसे पुराना धर्म माना गया है। ऐसा माना जाता है की जेरुशलम से आर्यव्रत लोगों के भारत आगमन पर देश में हिन्दू धर्म की स्थापना हुई। इतिहाकरों का मानना है की हिन्दू धर्म का इतिहास 6000 से भी अधिक वर्षों पुराना है। आपको बता दें की हिन्दू धर्म में बहुत से प्राचीन वेद और उपनिषद लिखे गए हैं। वेदों में सबसे पुरानी और पहली किताब ऋग्वेद को माना गया है। देश के महान सम्राट अशोक के शिलालेखों में हिन्दू धर्म के इतिहास के बारे में उल्लेख मिलता है।
- जैन धर्म (Jain Religion): जैन धर्म की स्थापना जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर माने जाने वाले ऋषभनाथ के द्वारा की गयी थी। ऋषभनाथ ने हिन्दू धर्म की ब्राह्मण परम्परा को ना मानते हुए श्रमण परम्परा की शुरुआत की। जिस कारण जैन धर्म को श्रमणों का धर्म भी कहा जाता है। जैन धर्म के यतियों और व्रात्यों का उल्लेख हमारे प्राचीन वैदिक साहित्य में मिलता है।
- यहुदी धर्म (Jewish Religion): यहूदी धर्म की शुरुआत इजराइल से मानी जाती है। इजराइल में यहूदी धर्म से ही इस्लाम और ईसाई धर्म की स्थापना हुई। यहूदी धर्म में मूर्ति पूजा निषेध है।
- पेगन धर्म (Pegan Religion): पेगन धर्म की उत्पत्ति जर्मनी के हिथ स्थान को माना जाता है। धीरे-धीरे इस धर्म का प्रचार-प्रसार अब अरब देशों में फ़ैल चूका है। बहुतायत में इस धर्म को मानने वाले लोग आपको रोम , अरब और बाकि मुस्लिम देशों में मिल जाएंगे।
- वुडू धर्म (Voodoo Religion): दोस्तों यह धर्म दुनिया भर की आदिवासी जातियों , जनजातियों के द्वारा माने जाने वाला धर्म है। यह धर्म लगभग आपको दुनिया के हर देश में देखने को मिल जाएगा। वुडू धर्म के अंतर्गत लोग जादू टोना , झाड़ फूंक आदि कामों पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
- पारसी धर्म (Parsiya Religion): पारसी धर्म को दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक माना जाता है। माना जाता है पारसी धर्म की शुरुआत पैगंबर जरथुस्त्र के द्वारा की गयी थी। इतिहासकार मानते हैं की पारसी धर्म की नींव आज के ईरान में पड़ी थी।
- बौद्ध धर्म (Buddhist Religion): बौद्ध धर्म की स्थापना गौतम बुद्ध के द्वारा की गयी थी। दुनियाभर में बौद्ध धर्म तीसरा सबसे बड़ा माना जाने वाल धर्म है। बौद्ध धर्म को मानने वाले अधिकतर लोग आपको चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और भारत आदि देशों में देखने को मिल जाएंगे।
- शिंतो धर्म (Shinto Religion): जापान का शिंतो धर्म दुनिया के तीसरे सबसे बड़े धर्म बौद्ध धर्म से निकला है। इस धर्म के अनुसार जापान के लोगों की धार्मिक मान्यता है की जापान का राज परिवार सूर्य की देवी अमातिरासु ओमिकामी से पैदा हुआ है।
- इस्लाम धर्म (Islam Religion): विद्वानों के अनुसार इस्लाम धर्म का इतिहास 1400 वर्ष पुराना है। माना जाता है की दुनिया में शान्ति स्थापित करने के लिए पैगंबर हजरत मोहम्मद अली ने की थी। इस्लाम की पवित्र किताब कुरान-ए-शरीफ में पैगम्बर मोहम्मद की बातों का जिक्र मिलता है।
- सिख धर्म (Sikh Religion): सिख धर्म में अब तक दस गुरु हुए हैं जिनके सिद्धातों को सिख धर्म की पवित्र पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब में समाहित किया गया है। आपको बताते चलें की सिख धर्म का इतिहास 600 साल से भी ज्यादा पुराना है।
- ईसाई धर्म (Christian Religion): ईसाई धर्म की स्थापना प्रभु यीशु के द्वारा मानी जाती है। ईसाई धर्म का इतिहास 2000 से भी अधिक वर्षों पुराना है। ईसाई धर्म को मानने वाले लोग ईसा मसीह के जीवन आदर्शों को मानते हैं।
- जेन धर्म (Zen Religion): जेन धर्म की स्थापना का समय 1200 ईस्वी के आस पास जापान में माना जाता है। यह धर्म जापान में समुराई वर्ग के लोगों से संबंधित है। जेन का शाब्दिक अर्थ होता है “ध्यान लगाना”
देश में विभिन्न धर्मों को मानने वालों की संख्या:
दोस्तों जैसा की आप जानते हैं हमारे देश भारत को अनेकताओं में एकता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। भारत में विभिन्न धर्म , जाति समुदाय के लोग एक साथ प्रेम एवं सद्भाव से रहते हैं। आगे आर्टिकल में हमने सरकार द्वारा की जाने वाली जनगणना के आंकड़ों के आधार पर आपको किस धर्म को मानने वाले कितने लोग हैं इसके बारे में बताया है –
- हिन्दू धर्म को मानने वालों की संख्या: भारत की जनसंख्या के आंकड़ों के मुताबिक़ भारत में हिन्दू धर्म को मानने वाले लगभग 79.8% लोग रहते हैं। जिसमें हिन्दू धर्म के अंतर्गत आने वाली विभिन्न प्रकार की जातियां शामिल हैं। यह आंकड़ा वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार है।
- इस्लाम धर्म को मानने वालों की संख्या: हिन्दू धर्म के बाद यदि कोई दूसरा सबसे धर्म देश में हैं तो वह है इस्लाम। देश में इस्लाम धर्म को मानने वालों की संख्या लगभग 15.23% है। भारत में मुस्लिम समाज द्वारा इस्लाम को मानने वालों के लिए अलग कानून – व्यवस्था है जिसे शरीयत-ए-कानून कहा जाता है।
- बौद्ध धर्म को मानने वालों की संख्या: देश में बौद्ध धर्म को मानने वालों की संख्या सरकारी आंकड़ों के अनुसार 0.70% है। बौद्ध धर्म को मानने वाले अधिकतर लोग देश के पूर्वी-उत्तरी के हिमालय क्षेत्र में निवास करते हैं।
- सिख धर्म को मानने वालों की संख्या: भारत में सबसे प्रचलित धर्मों में से एक सिख धर्म को मानने वालों की संख्या 1.72 % है। देश में सिखों का सबसे बड़ा और पवित्र स्थान Golden Temple है जिसे गुरु हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। हर साल लाखों सिख एवं अलग धर्म के लोग यहाँ दर्शन हेतु आते हैं।
- ईसाई धर्म को मानने वालों की संख्या: यदि हम बात करें ईसाई धर्म की तो देश में ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या 2.3 % है।
Sacha dharm kon sa hai (FAQs):
दोस्तों दुनिया के सभी धर्म सच्चे एवं अच्छे हैं। और सभी धर्मों में मानवता को सबसे सच्चा धर्म बताया गया है।
वसुधैवे कुटुंबकम का उल्लेख भारत के पौराणिक प्राचीन ग्रंथ श्री भागवद पुराण में देखने को मिलता है।
भारत में बौद्ध धर्म को मानने वालों की संख्या वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 0.70 प्रतिशत है।
दुनिया में इस्लाम धर्म की स्थापना करने वाले हजरत मुहम्मद इस्लामिक धर्म के एक पैगम्बर हैं जिन्हें अल्लाह के द्वारा हुक्म दिया गया की जाओ दुनिया की शान्ति के लिए एक नए धर्म की स्थापना करो।
प्रभु यीशु या ईसा मसीह को ईसाईं धर्म का संथापक माना जाता है।
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